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हमेशा मुठ मार लेता हूं.<br /><br /><br /><br /><br /><br />उन दिनों हम दोनों शादी करके कुछ दिनों के लिए ससुराल गए थे.<br /><br />हमारा स्वागत बढ़िया हुआ था और हम दोनों घर में प्रवेश कर गए.<br /><br />प्रवेश करते ही मुझे मेरी स्वप्नकन्या दिखाई दी.<br /><br />उसका नाम सोनल है.<br /><br />वह बहुत ही सुन्दर हेयर स्टाइल वाली लड़की है.<br /><br />उस दिन वह पिंक कलर की ड्रेस में एक अप्सरा ही लग रही थी.<br /><br />उसकी उम्र बीस साल की थी लेकिन उसके भरे हुए स्तन किसी 25 साल की लड़की के जैसे हैं.<br /><br />सोनल के तने हुए दूध देख कर मुझे अपने सास ससुर के सामने बैठना मुश्किल हो गया था.<br /><br /><br /><br /><br /><br />जैसे तैसे मैं बहाना करके उठा और वाशरूम से फ्रेश होकर आ गया.<br /><br />साली के स्तनों का आकार देख कर मुझसे अभी भी रहा नहीं जा रहा था.<br /><br />सोनल को देखकर तो ऐसे लग रहा था कि वह गंभीर मिजाज वाली लड़की है; उसे सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई से प्यार है.<br /><br />मैं उसे गौर से देखने लगा और उसे देखकर मन ही मन सोचने लगा कि क्या करूँ, जिससे सोनल को सैट कर सकूं.<br /><br /> 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/>फिर भी कोशिश करके मैंने उससे दोस्ती कर ली.<br /><br />मैं इस बात से खुश था कि उसने मुझसे दोस्ती की.<br /><br />एक दो दिन और गुजर गए और वह अभी मुझे बेझिझक बातें करने लगी.<br /><br />मैं उसके कॉलेज के बारे में बात करने लगा और उसकी सहेलियों व उसकी पढ़ाई को लेकर बात करने लगा.<br /><br />बात तो वह करती थी, मैं तो सिर्फ उसे निहारता था.<br /><br />कभी कभी ठंड की वजह से उसके स्तनों के निप्पल कड़क दिख जाते तो कभी मेरी आंखें उसके स्तनों के आकार को दूर से ही नाप लेतीं.<br /><br />ऐसे ही चलता रहा.<br /><br />एक दिन बात करते समय हम दोनों उसके एक फ्रेंड की लव स्टोरी डिस्कस करने लगे.<br /><br />मैंने भी मौका देख कर उससे पूछा- तुम्हारा बॉयफ्रेंड कौन है?<br /><br />उसने साफ मना करते हुए कहा कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.<br /><br /><br /><br /><br /><br />मेरे जोर देने पर भी उसने मना किया तो मैंने और छेड़ना ठीक नहीं समझा और इधर उधर की बातें करने लगा.<br /><br />फिर हमारे बीच इस तरह बात हुई:<br /><br />मैं- सोनल क्या मैं एक बात पूछूं, बुरा मत मानना तुम मुझे फ्रेंड मानती हो तो ही पूछूंगा.<br /><br />सोनल- हां पूछिए न!<br /><br />मैं- तुम अभी जवान हो गई हो और तुम्हारी सहेली का भी बॉयफ्रेंड है, तो तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा भी बॉयफ्रेंड होना चाहिए?<br /><br />सोनल चुप रही.<br /><br />मैं- डरो मत, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा!<br /><br />सोनल- मुझे भी लगता है लेकिन पापा और घर के सभी लोग स्ट्रिक्ट हैं, तो चाहकर भी मैं सिंगल हूँ.<br /><br />मैं- और एक सवाल पूछूं?<br /><br />सोनल- हां.<br /><br />मैं- सेक्स करने का मन करता है? शर्माना मत या फिर गुस्सा भी मत करना.<br /><br />सोनल- करता तो है, पर अभी मेरी उम्र कम है … और शादी भी नहीं हुई.<br /><br />मैं- यह कौन बोला कि सेक्स के लिए शादी करनी पड़ती है. सेक्स तो एक कला है. उसे सिर्फ नर और नारी चाहिए शादी नहीं. तुम अपनी दीदी से पूछो सेक्स का मजा क्या होता है!<br /><br />सोनल- आप भी ना!<br /><br />वह शर्मा कर उठ गई और जाने लगी.<br /><br />मैंने सोनल को अपने हाथ से पकड़ा और पहली बार उसकी नजर में मैंने कामवासना देखी.<br /><br />अब तक मैं काबू खोता जा रहा था लेकिन मुझे जल्दबाजी नहीं करनी थी.<br /><br />मैं- सच बताओ … कौन हैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड?<br /><br />सोनल- कोई नहीं है.<br /><br />मैं- फिर शर्मा क्यों रही हो?<br /><br />सोनल- आपने मेरा हाथ पकड़ रखा है.<br /><br />मैं- तो क्या हुआ आधी घरवाली हो मेरी!<br /><br />सोनल- प्लीज छोड़िए, मम्मी आ जाएंगी.<br /><br />मैं- आने दो.<br /><br />मौका देख मैंने उसको कमर से पकड़ कर अपनी बांहों में जकड़ लिया.<br /><br />उसकी छूटने की कोशिश बेकार हुई.<br /><br />उसे मैंने किस करना शुरू कर दिया.<br /><br />वह शर्माती हुई मेरा साथ दे रही थी.<br /><br />तभी मेरी पत्नी आ गई और हम अलग हो गए.<br /><br />मेरी बीवी को पता नहीं चला.<br /><br />वह खाने के लिए बुलाने आई थी और चली गई.<br /><br />उसके जाने के बाद मैंने फिर से सोनल को पकड़ा और उससे कहा- सोनल यार, पहले दिन से तुम्हें देख कर चोदने का मन बनाया है. अब और न तड़पाओ. तुम्हारी दीदी और तुम दोनों लाजवाब हो. दोनों भी सेक्सी हो. लेकिन तुम्हें एक बार चखना है. तुम जितनी टेस्टी हो उतनी टेस्टी तो तुम्हारी दीदी भी नहीं है. तुम्हें वही सुख देने के लिए मैं बेसब्र हूँ. मैं तुम्हारा रात को टेरेस पर इंतजार करूंगा, जरूर आना.<br /><br />वह चुपचाप चली गई और मैं सोचता रहा कि क्या होगा.<br /><br /><br /><br /><br /><br />फिर भी मैं रात को वाइफ सोने के बाद ऊपर आ गया और सोनल की राह देखने लगा.<br /><br />दो बजे के करीब सोनल आ गई और मैं खुशी से झूम उठा.<br /><br />मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और किस करने लगा.<br /><br /><br /><br /><br /><br />वह अब खुलकर साथ दे रही थी.<br /><br />हमारे टेरेस से सब कुछ दिखता था लेकिन टेरेस पर क्या चल रहा है, ये किसी को नहीं दिखता क्योंकि हमारे घर की ऊंचाई बहुत ज्यादा थी.<br /><br />मैं उसको गोद में उठाकर उस कमरे में लेकर आ गया जो टेरेस पर सामान रखने में काम आता था.<br /><br />उसे दीवार के सहारे खड़ा करके मैं उसके गले को चूमने लगा.<br /><br />मैं उसके दोनों हाथों को ऊपर पकड़ कर मुँह से उसके गले को और होंठों को चाट रहा था.<br /><br />मुझसे भी संयम नहीं हो रहा था तो मैंने उसके टॉप को ऊपर करके निकाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />सोनल सिर्फ ‘जीजाजी मत करो …’ इतना ही कह पाई.<br /><br />उसके हाथ मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सिर को स्तनों पर दबा रहे थे.<br /><br />मैंने ब्रा को निकाल दिया और जिसका इतना इंतजार किया, उसका जी भरके आनन्द लेने लगा.<br /><br />खुद की शर्ट को भी उतार कर हम दोनों कमर के ऊपर नंगे हो कर एक दूसरे के जिस्म का आनन्द लेने लगे.<br /><br />जब तक सोनल के स्तनों पर मेरे दांतों के निशान नहीं बने, तब तक मैं रुका नहीं.<br /><br />स्तन पान करते हुए मैं पेट को किस करने लगा और वह मदहोश हो गई.<br /><br />मैंने उसके बचे हुए कपड़ों को भी हटा कर उसे सिर्फ पैंटी पर खड़ा कर दिया.<br /><br />वह शर्म के मारे आंखें बन्द कर चुकी थी लेकिन मैं उसे देख कर बेकाबू हो चुका था.<br /><br />मैंने भी मेरे बचे हुए कपड़ों को उतार कर उसे देखा और उसका हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर दबा दिया.<br /><br /><br /><br /><br /><br />लंड की गर्म त्वचा से वह सहम उठी और उसने मुँह दीवार की तरफ कर दिया.<br /><br />मौका देखकर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, जो पूरी गीली हो चुकी थी.<br /><br />पीछे से उसे जोर से पकड़ कर मैंने उसकी चूत को उंगली से छेड़ना शुरू कर दिया और साथ ही दूसरे हाथ से निप्पल को रगड़ना शुरू कर दिया.<br /><br />वह अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी और फिर से एक बार गर्म हो चुकी थी.<br /><br />मैंने उसे पैरों पर बैठने को कहा तो वह झट से बैठ गई.<br /><br />मुझे तो मानो जन्नत मिल गई. मैंने अपना लंड उसको मुँह में लेने के इरादे से हिलाया.<br /><br /><br /><br /><br /><br />उसने पहले तो सर हिला कर मना किया लेकिन बाद में वह खुद ही तैयार हो गई और उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.<br /><br />वह बड़े ही पेशेवराना तरीके से लंड को चूसने लगी.<br /><br />यह देख कर मुझे जरा हैरानी हुई.<br /><br />पर मैं मजा लेने लगा.<br /><br />मेरा लंड उसके मुँह हिसाब से साइज़ में काफी बड़ा था और वह पूरा लंड अन्दर तक नहीं ले पा रही थी.<br /><br />फिर भी उसे मजे लेने थे तो उसने अपने मुँह में किसी तरह से पूरा लंड ले लिया.<br /><br />मेरी पत्नी तो कभी लंड को छूती भी नहीं थी.<br /><br />मैंने उसे उठाया और कहा- सोनल, तुमसे अच्छी लंड चूसने वाली कोई नहीं है. तुम्हारी दीदी को तो ये पसंद ही नहीं है.<br /><br />सोनल- जीजा जी, आप टाइमपास न करो, मैं अभी तड़प रही हूं. जल्दी से अपना ये औजार मेरी चूत में डालो और इसकी भूख मिटाओ.<br /><br />मैंने भी समय की गहराई को देखकर तुरंत उसे दीवार पर सटा कर अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा.<br /><br />पहला धक्का लगते ही उसके मुँह से चीख निकली और वह तड़प उठी.<br /><br />मैंने उसकी कमर को न छोड़ते हुए और एक धक्का लगाया.<br /><br />फिर तो मैं वहशी हो गया और धक्के पर धक्का लगाता चला गया.<br /><br />वह भी लंड रगड़ से मजा लेने लगी.<br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ ही देर में उसकी चूत से खून निकलने लगा था लेकिन अंधेरे में उसे कुछ समझ नहीं आया.<br /><br />कुछ ही देर में वह एक बार फिर से झड़ गई और पुराने गद्दे पर लेट गई.<br /><br />मैं अभी बाकी था, तो रुकने के मूड में नहीं था. मैं उधर ही उसकी चूत में पूरा लंड डालकर उसे चोदने लगा.<br /><br />वह थक गई थी लेकिन मुझे साथ दे रही थी.<br /><br />मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं.<br /><br />तो मैंने उसके दोनों स्तनों पर मेरे वीर्य का स्खलन शुरू कर दिया और वीर्य की आखिरी बूंद तक टपका दी.<br /><br />फिर मैं भी उसी के बाजू में लेट गया.<br /><br />हम दोनों की सांसें फूल रही थीं लेकिन मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.<br /><br />मैंने जो सोचा था हो गया.<br /><br />पड़े पड़े हम दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराते रहे और फिर उठकर अपनी अपनी जगह पर जाकर सो गए.<br /><br /><br /><br /><br /><br />सोते समय भी मुझे सोनल के शरीर का स्पर्श महसूस हो रहा था और मैं सपने मंख भी यही चाह रहा था कि वह मुझसे अलग ना हो.<br /><br />दूसरे दिन सोनल मुझे देख कर शर्माने लगी और मेरे सामने ही नहीं आई.<br /><br />मैंने सोचा कि ऐसे काम नहीं चलेगा, मुझे कुछ करना पड़ेगा.<br /><br />तब मैंने इशारे में उसे कोने में बुलाकर उससे उसका फोन नंबर मांगा और उसे मोबाइल पर बात करने को कहा.<br /><br />मैं- क्या हुआ शर्मा क्यों रही हो? कल जो हुआ, क्या वह पसंद नहीं आया?<br /><br />सोनल- ऐसी बात नहीं है. मुझे बहुत पसन्द आया और आपका वह भी काफी बड़ा है.<br /><br />मैं- ऐसी बात है, तो फिर घूमने चलें? बहाना बनाकर बाहर चलते हैं?<br /><br />सोनल- ना बाबा ना … जो कुछ करना है रात को ही कर लेना!<br /><br />मैं- ठीक है, फिर लेकिन आज रात रंगीन होगी. आधा अधूरा नहीं छोडूंगा.<br /><br />सोनल शर्माकर मेरी ओर देखने लगी और मैं रात का इंतजार करने लगा.<br /><br /><br /><br /><br /><br />आज मैंने पहले से कुछ सैटिंग कर रखी थी.<br /><br />कल रात जो दिक्कत आई थी, वह न हो इसलिए मैंने गद्दा अच्छी तरह बिछाया और उस पर कपड़ा डालकर उसे कुछ ठीक कर दिया.<br /><br />अब बस इंतजार सिर्फ सोनल के आने का था.<br /><br />आज कुछ नया भी ट्राय करना था तो मैंने मन ही मन ठान लिया कि उसे आज पूरी रात सोने नहीं देना है.<br /><br />सब लोग सोने के बाद मैं चुपके से ऊपर चला गया और उसका इंतजार करने लगा.<br /><br />थोड़ी देर में वह भी आ गई.<br /><br />मैंने उसे गद्दे पर लिटाया और उससे लिपटकर चूमने और चाटने लगा.<br /><br />वह पहले से ही गर्म हो गई थी और मेरे ऐसा करने से वह और जादा कामुक हो गई.<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />मैंने उसका टॉप ऊपर करके धीरे धीरे स्तनों को चूसना और चाटना चालू किया.<br /><br />वह आह आह की आवाज निकालने लगी.<br /><br />मेरा भी लंड तन चुका था.<br /><br />मैंने उसकी नाभि को चाटकर गीला कर दिया और नीचे की ओर जाने लगा.<br /><br />उसकी पैंटी को नीचे कर उसकी चूत को देख कर मैं बेकाबू हो गया और मैंने अपनी जीभ से उसकी दोनों पंखुड़ियों को अलग कर दिया.<br /><br />वह मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी.<br /><br />मैंने पूरा प्रयास करके उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर रसपान शुरू किया और उसे काम वासना के शिखर पर पहुंचा दिया.<br /><br />इधर मेरी कामवासना भी तूफान की तरह उछल पड़ी थी तो मैंने मेरी दिशा बदली और मेरा लंड उसके मुँह में डाल दिया.<br /><br />फिर मैं 69 की पोजीशन में आ गया. उसके लिए ये चीज नई थी, लेकिन उसे मजा भी आ रहा था.<br /><br />मैंने पूरा लंड उसके मुँह में डाला और मेरी जीभ जितनी अन्दर जा सकी, उतनी पेल कर अच्छी तरह से उसकी चूत को चाटा.<br /><br />बड़ी देर बाद जब हम दोनों झड़ गए तो थोड़ी देर के लिए एक दूसरे से लिपटकर वैसे ही पड़े रहे.<br /><br />अचानक से सोनल ने फिर से लंड चूसना चालू कर दिया और मेरा लंड भी तुरंत खड़ा हो गया.<br /><br />इस बार बारी चूत चुदाई की थी.<br /><br />मैंने सोनल की चूत पर अपना लंड सैट करके जोर से झटका लगाया.<br /><br />इस बार मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया.<br /><br />कल जैसे खून आया था, आज उतना खून नहीं आया.<br /><br />सोनल को भी सेक्स की लत लग चुकी थी और वह उछल उछल कर मेरा लंड ले रही थी.<br /><br />दोनों टांगों को ऊपर उठाकर मैंने पूरी ताकत के साथ लंड अन्दर डाल दिया.<br /><br />सोनल की चीख निकल गई लेकिन अभी मैं रुकने के मूड में नहीं था.<br /><br />दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ने पोजीशन बदली.<br /><br />मैंने उसे कुतिया की तरह खड़ा करके चोदना शुरू किया.<br /><br />यह पोजीशन हम दोनों को पसंद आई.<br /><br />धकाधक पेलापेली से थक कर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.<br /><br />बड़ी देर तक Xxx साली जीजा सेक्स यानि चुदाई चलती रही लेकिन न वह झड़ रही थी और न मैं!<br /><br />फिर मैंने उसे पुनः दीवार से सटाकर चोदना शुरू किया.<br /><br />शरीर की पूरी ताकत जुटा कर मैंने जोर जोर से उसे चोदना चालू कर दिया था.<br /><br />अब वह भी थक चुकी थी तो उसने मुझसे कहा- मुझे लंड के रस को पीना है.<br /><br /><br /><br /><br /><br />उसे मेरा माल टेस्टी लगा था.<br /><br />मैंने उसे नीचे बिठाकर उसके मुँह में लंड दे दिया.<br /><br />थोड़ी देर के झटकों के बाद उसने मेरा सारा माल पी लिया व लंड को चाट कर साफ भी कर दिया.<br /><br />हम दोनों बहुत खुश थे.<br /><br />तीन बार चुदाई करने के बाद देर रात को हम दोनों अपने अपने बिस्तर पर जाकर सो गए.<br /><br />उस दिन से आज तक मैंने कभी भी सेक्स की कमी को महसूस नहीं किया.<br /><br />कभी पत्नी के साथ तो कभी साली के साथ चुदाई के पूरे मजे किए.<br /><br />आपको मेरा ये प्रयास कैसा लगा, मेल करके जरूर बताएं.<br /><br />Xxx साली जीजा सेक्स कहानी पर अपनी विचार कमेंट्स और मेल में लिखिए.<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />

Версия 07:04, 12 февраля 2024

Xxx साली जीजा सेक्स कहानी में मैंने अपनी साली की काल्पनिक चुदाई की. मेरी साली बहुत सेक्सी है, उसकी चूचियां बहुत मस्त हैं. मैं उसे कभी चोद नहीं पाया पर कल्पना की है.

दोस्तो, सबसे पहले तो मैं अपना परिचय देता हूं.

मेरा नाम प्रणय है और मैं एक बैंक में काम करता हूं.

मेरी उम्र 27 साल है और शरीर भी तंदुरुस्त है.

मैं यहां पहली बार लिख रहा हूँ और मुझे सेक्स कहानी लिखने का कोई अनुभव नहीं है.

फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि आप सबको मजा आए.

मेरी इस Xxx साली जीजा सेक्स कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं.

मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं और हम दोनों मुंबई में रहते हैं.

यह बात जो मैं बताने जा रहा हूं, वह मेरी कल्पना है.

उस लड़की को देखकर जिसे मैं हमेशा से चोदना चाहता था लेकिन रिश्तों की वजह से कभी चोद नहीं पाया.

यह बात मेरी साली की है जो मुझसे उम्र में छोटी है और मेरे साथ अब काफी नटखट भी हो गई है.

उसे देखकर मुझे हमेशा लगता कि काश यह मेरी पत्नी होती.

उसके बारे में सोच सोच मैं हमेशा मुठ मार लेता हूं.





उन दिनों हम दोनों शादी करके कुछ दिनों के लिए ससुराल गए थे.

हमारा स्वागत बढ़िया हुआ था और हम दोनों घर में प्रवेश कर गए.

प्रवेश करते ही मुझे मेरी स्वप्नकन्या दिखाई दी.

उसका नाम सोनल है.

वह बहुत ही सुन्दर हेयर स्टाइल वाली लड़की है.

उस दिन वह पिंक कलर की ड्रेस में एक अप्सरा ही लग रही थी.

उसकी उम्र बीस साल की थी लेकिन उसके भरे हुए स्तन किसी 25 साल की लड़की के जैसे हैं.

सोनल के तने हुए दूध देख कर मुझे अपने सास ससुर के सामने बैठना मुश्किल हो गया था.





जैसे तैसे मैं बहाना करके उठा और वाशरूम से फ्रेश होकर आ गया.

साली के स्तनों का आकार देख कर मुझसे अभी भी रहा नहीं जा रहा था.

सोनल को देखकर तो ऐसे लग रहा था कि वह गंभीर मिजाज वाली लड़की है; उसे सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई से प्यार है.

मैं उसे गौर से देखने लगा और उसे देखकर मन ही मन सोचने लगा कि क्या करूँ, जिससे सोनल को सैट कर सकूं.

Hindi sex story रात मैंने अपनी पत्नी को ऐसे चोदा मानो मैं सोनल को ही चोद रहा हूं.

पत्नी भी संतुष्टि के साथ सो गई लेकिन मुझे अभी भी सोनल की जवानी ने परेशान कर रखा था.





मैंने तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए, मैं सोनल को चोदे बिना वापस नहीं जाऊंगा.

दूसरे दिन सुबह जब मैं उठा तो सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हो गए थे.

फिर मैं भी नाश्ता करके अखबार पढ़ने बैठ गया.

मैंने जान बूझकर नाश्ते की प्लेट सामने रखी ताकि सोनल उसे उठाए और मैं उसके दोनों स्तनों को जीभर के देख सकूं.

हुआ भी वैसे ही.

मैंने अंततः उसके दोनों स्तनों को देख लिया.





मानो मेरे अन्दर ज्वालामुखी भड़क गया था और मुझे अपने लावा को सोनल के स्तनों पर छोड़ना है, यह सोच सोच कर मैं पागल होने लगा.

एक दो दिन और गुजर गए और मेरी परेशानी बढ़ती गई.

मौका देख कर मैंने उससे बात करना शुरू किया.

वह कम ही घुल-मिल पाती थी.

फिर भी कोशिश करके मैंने उससे दोस्ती कर ली.

मैं इस बात से खुश था कि उसने मुझसे दोस्ती की.

एक दो दिन और गुजर गए और वह अभी मुझे बेझिझक बातें करने लगी.

मैं उसके कॉलेज के बारे में बात करने लगा और उसकी सहेलियों व उसकी पढ़ाई को लेकर बात करने लगा.

बात तो वह करती थी, मैं तो सिर्फ उसे निहारता था.

कभी कभी ठंड की वजह से उसके स्तनों के निप्पल कड़क दिख जाते तो कभी मेरी आंखें उसके स्तनों के आकार को दूर से ही नाप लेतीं.

ऐसे ही चलता रहा.

एक दिन बात करते समय हम दोनों उसके एक फ्रेंड की लव स्टोरी डिस्कस करने लगे.

मैंने भी मौका देख कर उससे पूछा- तुम्हारा बॉयफ्रेंड कौन है?

उसने साफ मना करते हुए कहा कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.





मेरे जोर देने पर भी उसने मना किया तो मैंने और छेड़ना ठीक नहीं समझा और इधर उधर की बातें करने लगा.

फिर हमारे बीच इस तरह बात हुई:

मैं- सोनल क्या मैं एक बात पूछूं, बुरा मत मानना तुम मुझे फ्रेंड मानती हो तो ही पूछूंगा.

सोनल- हां पूछिए न!

मैं- तुम अभी जवान हो गई हो और तुम्हारी सहेली का भी बॉयफ्रेंड है, तो तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा भी बॉयफ्रेंड होना चाहिए?

सोनल चुप रही.

मैं- डरो मत, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा!

सोनल- मुझे भी लगता है लेकिन पापा और घर के सभी लोग स्ट्रिक्ट हैं, तो चाहकर भी मैं सिंगल हूँ.

मैं- और एक सवाल पूछूं?

सोनल- हां.

मैं- सेक्स करने का मन करता है? शर्माना मत या फिर गुस्सा भी मत करना.

सोनल- करता तो है, पर अभी मेरी उम्र कम है … और शादी भी नहीं हुई.

मैं- यह कौन बोला कि सेक्स के लिए शादी करनी पड़ती है. सेक्स तो एक कला है. उसे सिर्फ नर और नारी चाहिए शादी नहीं. तुम अपनी दीदी से पूछो सेक्स का मजा क्या होता है!

सोनल- आप भी ना!

वह शर्मा कर उठ गई और जाने लगी.

मैंने सोनल को अपने हाथ से पकड़ा और पहली बार उसकी नजर में मैंने कामवासना देखी.

अब तक मैं काबू खोता जा रहा था लेकिन मुझे जल्दबाजी नहीं करनी थी.

मैं- सच बताओ … कौन हैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड?

सोनल- कोई नहीं है.

मैं- फिर शर्मा क्यों रही हो?

सोनल- आपने मेरा हाथ पकड़ रखा है.

मैं- तो क्या हुआ आधी घरवाली हो मेरी!

सोनल- प्लीज छोड़िए, मम्मी आ जाएंगी.

मैं- आने दो.

मौका देख मैंने उसको कमर से पकड़ कर अपनी बांहों में जकड़ लिया.

उसकी छूटने की कोशिश बेकार हुई.

उसे मैंने किस करना शुरू कर दिया.

वह शर्माती हुई मेरा साथ दे रही थी.

तभी मेरी पत्नी आ गई और हम अलग हो गए.

मेरी बीवी को पता नहीं चला.

वह खाने के लिए बुलाने आई थी और चली गई.

उसके जाने के बाद मैंने फिर से सोनल को पकड़ा और उससे कहा- सोनल यार, पहले दिन से तुम्हें देख कर चोदने का मन बनाया है. अब और न तड़पाओ. तुम्हारी दीदी और तुम दोनों लाजवाब हो. दोनों भी सेक्सी हो. लेकिन तुम्हें एक बार चखना है. तुम जितनी टेस्टी हो उतनी टेस्टी तो तुम्हारी दीदी भी नहीं है. तुम्हें वही सुख देने के लिए मैं बेसब्र हूँ. मैं तुम्हारा रात को टेरेस पर इंतजार करूंगा, जरूर आना.

वह चुपचाप चली गई और मैं सोचता रहा कि क्या होगा.





फिर भी मैं रात को वाइफ सोने के बाद ऊपर आ गया और सोनल की राह देखने लगा.

दो बजे के करीब सोनल आ गई और मैं खुशी से झूम उठा.

मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और किस करने लगा.





वह अब खुलकर साथ दे रही थी.

हमारे टेरेस से सब कुछ दिखता था लेकिन टेरेस पर क्या चल रहा है, ये किसी को नहीं दिखता क्योंकि हमारे घर की ऊंचाई बहुत ज्यादा थी.

मैं उसको गोद में उठाकर उस कमरे में लेकर आ गया जो टेरेस पर सामान रखने में काम आता था.

उसे दीवार के सहारे खड़ा करके मैं उसके गले को चूमने लगा.

मैं उसके दोनों हाथों को ऊपर पकड़ कर मुँह से उसके गले को और होंठों को चाट रहा था.

मुझसे भी संयम नहीं हो रहा था तो मैंने उसके टॉप को ऊपर करके निकाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.







सोनल सिर्फ ‘जीजाजी मत करो …’ इतना ही कह पाई.

उसके हाथ मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सिर को स्तनों पर दबा रहे थे.

मैंने ब्रा को निकाल दिया और जिसका इतना इंतजार किया, उसका जी भरके आनन्द लेने लगा.

खुद की शर्ट को भी उतार कर हम दोनों कमर के ऊपर नंगे हो कर एक दूसरे के जिस्म का आनन्द लेने लगे.

जब तक सोनल के स्तनों पर मेरे दांतों के निशान नहीं बने, तब तक मैं रुका नहीं.

स्तन पान करते हुए मैं पेट को किस करने लगा और वह मदहोश हो गई.

मैंने उसके बचे हुए कपड़ों को भी हटा कर उसे सिर्फ पैंटी पर खड़ा कर दिया.

वह शर्म के मारे आंखें बन्द कर चुकी थी लेकिन मैं उसे देख कर बेकाबू हो चुका था.

मैंने भी मेरे बचे हुए कपड़ों को उतार कर उसे देखा और उसका हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर दबा दिया.





लंड की गर्म त्वचा से वह सहम उठी और उसने मुँह दीवार की तरफ कर दिया.

मौका देखकर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, जो पूरी गीली हो चुकी थी.

पीछे से उसे जोर से पकड़ कर मैंने उसकी चूत को उंगली से छेड़ना शुरू कर दिया और साथ ही दूसरे हाथ से निप्पल को रगड़ना शुरू कर दिया.

वह अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी और फिर से एक बार गर्म हो चुकी थी.

मैंने उसे पैरों पर बैठने को कहा तो वह झट से बैठ गई.

मुझे तो मानो जन्नत मिल गई. मैंने अपना लंड उसको मुँह में लेने के इरादे से हिलाया.





उसने पहले तो सर हिला कर मना किया लेकिन बाद में वह खुद ही तैयार हो गई और उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.

वह बड़े ही पेशेवराना तरीके से लंड को चूसने लगी.

यह देख कर मुझे जरा हैरानी हुई.

पर मैं मजा लेने लगा.

मेरा लंड उसके मुँह हिसाब से साइज़ में काफी बड़ा था और वह पूरा लंड अन्दर तक नहीं ले पा रही थी.

फिर भी उसे मजे लेने थे तो उसने अपने मुँह में किसी तरह से पूरा लंड ले लिया.

मेरी पत्नी तो कभी लंड को छूती भी नहीं थी.

मैंने उसे उठाया और कहा- सोनल, तुमसे अच्छी लंड चूसने वाली कोई नहीं है. तुम्हारी दीदी को तो ये पसंद ही नहीं है.

सोनल- जीजा जी, आप टाइमपास न करो, मैं अभी तड़प रही हूं. जल्दी से अपना ये औजार मेरी चूत में डालो और इसकी भूख मिटाओ.

मैंने भी समय की गहराई को देखकर तुरंत उसे दीवार पर सटा कर अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा.

पहला धक्का लगते ही उसके मुँह से चीख निकली और वह तड़प उठी.

मैंने उसकी कमर को न छोड़ते हुए और एक धक्का लगाया.

फिर तो मैं वहशी हो गया और धक्के पर धक्का लगाता चला गया.

वह भी लंड रगड़ से मजा लेने लगी.





कुछ ही देर में उसकी चूत से खून निकलने लगा था लेकिन अंधेरे में उसे कुछ समझ नहीं आया.

कुछ ही देर में वह एक बार फिर से झड़ गई और पुराने गद्दे पर लेट गई.

मैं अभी बाकी था, तो रुकने के मूड में नहीं था. मैं उधर ही उसकी चूत में पूरा लंड डालकर उसे चोदने लगा.

वह थक गई थी लेकिन मुझे साथ दे रही थी.

मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं.

तो मैंने उसके दोनों स्तनों पर मेरे वीर्य का स्खलन शुरू कर दिया और वीर्य की आखिरी बूंद तक टपका दी.

फिर मैं भी उसी के बाजू में लेट गया.

हम दोनों की सांसें फूल रही थीं लेकिन मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.

मैंने जो सोचा था हो गया.

पड़े पड़े हम दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराते रहे और फिर उठकर अपनी अपनी जगह पर जाकर सो गए.





सोते समय भी मुझे सोनल के शरीर का स्पर्श महसूस हो रहा था और मैं सपने मंख भी यही चाह रहा था कि वह मुझसे अलग ना हो.

दूसरे दिन सोनल मुझे देख कर शर्माने लगी और मेरे सामने ही नहीं आई.

मैंने सोचा कि ऐसे काम नहीं चलेगा, मुझे कुछ करना पड़ेगा.

तब मैंने इशारे में उसे कोने में बुलाकर उससे उसका फोन नंबर मांगा और उसे मोबाइल पर बात करने को कहा.

मैं- क्या हुआ शर्मा क्यों रही हो? कल जो हुआ, क्या वह पसंद नहीं आया?

सोनल- ऐसी बात नहीं है. मुझे बहुत पसन्द आया और आपका वह भी काफी बड़ा है.

मैं- ऐसी बात है, तो फिर घूमने चलें? बहाना बनाकर बाहर चलते हैं?

सोनल- ना बाबा ना … जो कुछ करना है रात को ही कर लेना!

मैं- ठीक है, फिर लेकिन आज रात रंगीन होगी. आधा अधूरा नहीं छोडूंगा.

सोनल शर्माकर मेरी ओर देखने लगी और मैं रात का इंतजार करने लगा.





आज मैंने पहले से कुछ सैटिंग कर रखी थी.

कल रात जो दिक्कत आई थी, वह न हो इसलिए मैंने गद्दा अच्छी तरह बिछाया और उस पर कपड़ा डालकर उसे कुछ ठीक कर दिया.

अब बस इंतजार सिर्फ सोनल के आने का था.

आज कुछ नया भी ट्राय करना था तो मैंने मन ही मन ठान लिया कि उसे आज पूरी रात सोने नहीं देना है.

सब लोग सोने के बाद मैं चुपके से ऊपर चला गया और उसका इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर में वह भी आ गई.

मैंने उसे गद्दे पर लिटाया और उससे लिपटकर चूमने और चाटने लगा.

वह पहले से ही गर्म हो गई थी और मेरे ऐसा करने से वह और जादा कामुक हो गई.







मैंने उसका टॉप ऊपर करके धीरे धीरे स्तनों को चूसना और चाटना चालू किया.

वह आह आह की आवाज निकालने लगी.

मेरा भी लंड तन चुका था.

मैंने उसकी नाभि को चाटकर गीला कर दिया और नीचे की ओर जाने लगा.

उसकी पैंटी को नीचे कर उसकी चूत को देख कर मैं बेकाबू हो गया और मैंने अपनी जीभ से उसकी दोनों पंखुड़ियों को अलग कर दिया.

वह मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी.

मैंने पूरा प्रयास करके उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर रसपान शुरू किया और उसे काम वासना के शिखर पर पहुंचा दिया.

इधर मेरी कामवासना भी तूफान की तरह उछल पड़ी थी तो मैंने मेरी दिशा बदली और मेरा लंड उसके मुँह में डाल दिया.

फिर मैं 69 की पोजीशन में आ गया. उसके लिए ये चीज नई थी, लेकिन उसे मजा भी आ रहा था.

मैंने पूरा लंड उसके मुँह में डाला और मेरी जीभ जितनी अन्दर जा सकी, उतनी पेल कर अच्छी तरह से उसकी चूत को चाटा.

बड़ी देर बाद जब हम दोनों झड़ गए तो थोड़ी देर के लिए एक दूसरे से लिपटकर वैसे ही पड़े रहे.

अचानक से सोनल ने फिर से लंड चूसना चालू कर दिया और मेरा लंड भी तुरंत खड़ा हो गया.

इस बार बारी चूत चुदाई की थी.

मैंने सोनल की चूत पर अपना लंड सैट करके जोर से झटका लगाया.

इस बार मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया.

कल जैसे खून आया था, आज उतना खून नहीं आया.

सोनल को भी सेक्स की लत लग चुकी थी और वह उछल उछल कर मेरा लंड ले रही थी.

दोनों टांगों को ऊपर उठाकर मैंने पूरी ताकत के साथ लंड अन्दर डाल दिया.

सोनल की चीख निकल गई लेकिन अभी मैं रुकने के मूड में नहीं था.

दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ने पोजीशन बदली.

मैंने उसे कुतिया की तरह खड़ा करके चोदना शुरू किया.

यह पोजीशन हम दोनों को पसंद आई.

धकाधक पेलापेली से थक कर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

बड़ी देर तक Xxx साली जीजा सेक्स यानि चुदाई चलती रही लेकिन न वह झड़ रही थी और न मैं!

फिर मैंने उसे पुनः दीवार से सटाकर चोदना शुरू किया.

शरीर की पूरी ताकत जुटा कर मैंने जोर जोर से उसे चोदना चालू कर दिया था.

अब वह भी थक चुकी थी तो उसने मुझसे कहा- मुझे लंड के रस को पीना है.





उसे मेरा माल टेस्टी लगा था.

मैंने उसे नीचे बिठाकर उसके मुँह में लंड दे दिया.

थोड़ी देर के झटकों के बाद उसने मेरा सारा माल पी लिया व लंड को चाट कर साफ भी कर दिया.

हम दोनों बहुत खुश थे.

तीन बार चुदाई करने के बाद देर रात को हम दोनों अपने अपने बिस्तर पर जाकर सो गए.

उस दिन से आज तक मैंने कभी भी सेक्स की कमी को महसूस नहीं किया.

कभी पत्नी के साथ तो कभी साली के साथ चुदाई के पूरे मजे किए.

आपको मेरा ये प्रयास कैसा लगा, मेल करके जरूर बताएं.

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